संपादकीय - इधर-उधर की
साहित्य कुञ्ज के इस अंक में
कहानियाँ
अंतिम मिलन
वसुधा का अप्रतिम लावण्य अपने निखार में था। पूरे साज-सिंगार से वह चली थी। कितनी मिन्नतों के बाद चंदर ने आज आने का वादा किया था। प्रियतम से मिलने की प्रगाढ़ आकुलता ने पूरे वातावरण को मादक बना दिया आगे पढ़ें
अनोखा जन्मदिन
रमोला से पति अजय ने कहा, “सुनो, कल शाम को तैयार रहना, एक नए दोस्त शर्मा जी हैं, उन्होंने पत्नी की जन्मदिन पार्टी में बुलाया है।” अजय जी भी रिटायर्ड हैं, रोज़ सुबह मॉर्निंग वॉक में लोगों से मिलना-जुलना आगे पढ़ें
आदान-प्रदान
“अरे मिसेज़ वर्मा, लगता है आपकी याददाश्त कमज़ोर होने लगी है। यह गिफ़्ट तो हमने आपकी बेटी के जन्मदिन पर पिछले ही महीने दिया था न?” “हँसिये नहीं मिसेज़ गुप्ता। आपकी ही याददाश्त ताज़ा करवाने के लिए यह आदान-प्रदान आगे पढ़ें
कुछ यूँ हुआ उस रात
उस रात तिलोत्तमा के मोबाइल की बजती घंटी ने गहराते हुए सन्नाटे के साथ-साथ, उसके मन की शान्ति को भी भंग कर दिया। कुछ देर पहले ही उसकी आँख लगी थी। पल भर को तो उसे समझ ही नहीं आगे पढ़ें
कृपाकांक्षी—नई निगाह
आशा रानी को इधर नौकरी देने से पहले मुझे स्कूल-प्रबन्धक के कमरे में बुलाया गया। स्कूल प्रबन्धक को मेरी समझ पर बहुत भरोसा था और वे प्रत्येक नियुक्ति मेरी संस्तुति पर ही किया करते थे—उनकी राय में पहली कक्षा आगे पढ़ें
ग्वालिन-राजकुमारी
मूल कहानी: ला लाटिया रेजिना; चयन एवं पुनर्कथन: इतालो कैल्विनो अंग्रेज़ी में अनूदित: जॉर्ज मार्टिन (द मिल्कमेड क्वीन); पुस्तक का नाम: इटालियन फ़ोकटेल्स; हिन्दी में अनुवाद: सरोजिनी पाण्डेय एक समय की बात है, एक राजा-रानी निस्संतान थे। एक आगे पढ़ें
तुम भी भुलक्कड़ हो
“आज आप सुबह-सुबह रसोई में क्या कर रहे हैं। कुछ चाहिए क्या!” उबासी लेते हुए अनामिका ने राजेश से कहा। “कुछ नहीं चाहिए प्रिय। आज बस मन किया, तुम्हें अपने हाथ की चाय बनाकर पिलाऊँ।” “लगता है सूरज पश्चिम आगे पढ़ें
पीले पत्ते
राजेश्वर की नींद तो न जाने कब की खुल चुकी थी। कदाचित् प्रातः चार से पूर्व। किन्तु वह बिस्तर पर लेटे-लेटे बहुत देर तक यूँ ही करवटें बदलते रहे। चार बजे उठ कर बाथरूम भी हो आये। पानी भी आगे पढ़ें
सै सै नरसिम्हा
(ऐतिहासिक घटना पर आधारित डॉ. पद्मावती जी ऐतिहासिक आलेख पढ़ें: उय्यालावाड़ा नरसिम्हा रेड्डी ) “राम-राम शास्त्री जी।” “राम-राम दादा। आज लोग नहीं आए? मैं सोचा मैं ही देर हो गया।” “न . . . आ जाएँगे धीरे-धीरे . . . आप आगे पढ़ें
हमारे राम की 18 कहानियाँ: 8. राम, सीता और लक्ष्मण का सपना
पूर्णाहुति के पश्चात ऋषि पत्नी मंच पर खड़ी हो गईं, “आप सब अतिथियों को प्रणाम करती हूँ और आभार व्यक्त करती हूँ कि आपने हमारे निमंत्रण का मान रखते हुए, दूर-दूर से यहाँ पधारने का कष्ट किया और हमारे आगे पढ़ें
हर घर कुछ कहता है
बंगलुरु से आने वाली एयर इंडिया की फ़्लाइट अभी दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंड हुई ही थी कि पार्थ ने अपना फोन ऑन करके सबसे पहले समर्थ को फोन किया। “सैम, मेरी फ़्लाइट लैंड हो गई है तू कहाँ है?” आगे पढ़ें
ज़िन्दगी से मुलाक़ात
“विशाखा अब तो तुम्हारी सगाई हो गई है। उस मिहिर के चक्कर में अब हमें तो भूल ही जाओगी।” “ओह! गुंजन तुम हमेशा ऐसे मत कहा करो। मिहिर मेरा होने वाला पति है, तो तुम मेरी पक्की सहेली, तुम्हें आगे पढ़ें
हास्य/व्यंग्य
असंतुष्ट इज़ बैटर दैन संतुष्ट
वे करते क्या हैं? क्या बताऊँ? बस, इतने भर में सब समझ लीजिए कि इसको उसको मठाधीश बनाने के लिए असंतुष्टों को संतुष्ट करने का छोटा-मोटा धंधा करते हैं। जनाब की दूसरी ख़ासियत है, जब भी मुझसे बात करने आगे पढ़ें
कुछ भी होल्ड नहीं करता शायद
आज क्लासरूम में “शायद” एकांकी पढ़ा रही थी। हम सब अपनी ज़िंदगी में “शायद” से गुज़रते हैं। कभी रिश्तों में, कभी काम में और कभी अपने वुजूद में ही। एक जैसी चलने वाली ज़िन्दगी के बीच कभी सवालों तो आगे पढ़ें
मैं बेचारा दर्द का मारा
आदमी का दिमाग़ एक विशाल पुस्तकालय है। आजकल के आदमी ने इस पुस्तकालय की पुस्तकों को देखना बन्द कर दिया है। आदमी की इसी भूल के कारण इस पुस्तकालय अर्थात् दिमाग़ में धूल जमनी शुरू हो गयी, किन्तु मुझ आगे पढ़ें
आलेख
आख़िर क्यों सही से काम नहीं कर पा रही साहित्य अकादमियाँ?
पिछले दशकों में पुरस्कारों की बंदर बाँट कथित साहित्यकारों, कलाकारों और अपने लोगों को प्रस्तुत करने के लिए विशेष साहित्यकार, पुरोधा कलाकार, साहित्य ऋषि जैसी कई श्रेणियाँ बनी है। जिसके तहत विभिन्न अकादमियाँ एक दूसरे के अध्यक्षों को पुरस्कृत आगे पढ़ें
औपनिवेशिक भारत में पत्रकारिता और राजनीति
संक्षेप पत्रकारिता अपने शुरूआती दौर में राजनीति से जुड़ी नहीं थी। यह इंग्लैंड में मनोरंजन के साधनों में से एक था। अपनी ‘गटर प्रेस’ विशेषताओं के कारण, इसे देश में राजनीतिक और सामाजिक विचारों के विकास में सम्मानित स्थान आगे पढ़ें
गिरिजा संग होली खेलत बाघम्बरधारी
श्मशान जीवन के अंतिम पड़ाव की विश्रामस्थली है, जहाँ मृत्यु के पश्चात शरीर स्थायी रूप से पंचतत्व में विलीन हो जाता है। रंगों की वीतरागता इस श्मशान भूमि में किसी को भी आह्लादित नहीं करती, तभी मृतक देह को आगे पढ़ें
जब महिला होगी सशक्त, तब देश उन्नति में न लगेगा वक़्त
आज के आधुनिक समय में महिला उत्थान एक विशेष विचारणीय विषय है। हमारे आदि–ग्रंथों में नारी के महत्त्व को मानते हुए यहाँ तक बताया गया है कि “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:” अर्थात् जहाँ नारी की पूजा होती आगे पढ़ें
पत्रकारिता और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महिलाओं का योगदान
माना जाता है कि जिस देश में स्त्रियों का सम्मान होता है वह देश अधिक उन्नति करता है। भारतीय समाज में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया जाता है लेकिन देवी का दर्जा देना ही काफ़ी नहीं है। राष्ट्र आगे पढ़ें
भारतीय सिनेमा की महिला हास्य कलाकार
बॉलीवुड में हर साल अलग-अलग जॉनरा की कई फ़िल्में रिलीज़ होती हैं। कॉमेडी एक ऐसा जॉनरा है, जिसे देखना हर कोई पसंद करता है। लेकिन आज बॉलीवुड जितना कॉमेडी के लिए फ़ेमस है उतना आज से 80 साल पहले आगे पढ़ें
महाशिवरात्रि और शिवजी का प्रसाद भाँग
‘खइ के पान बनारस वाला, खुल जाए बंद अक़्ल का ताला . . .’ चार दशक पूर्व फ़िल्म ‘डाॅन’ में अमिताभ बच्चन का गाया यह गाना बहुत लोकप्रिय हुआ था। पान के रसिया उत्तर भारतीय लोगों के लिए तो आगे पढ़ें
शिव भस्म धारण से मिलता है कल्याण
शिव ही सर्वज्ञ, परिपूर्ण और अनंत शक्तियों को धारण किए हैं। जो मन, वचन, शरीर और धन से शिव भावना करके उनकी पूजा करते हैं, उन पर शिवजी की कृपा अवश्य होती है। शिवलिंग में, शिव की प्रतिमा में, आगे पढ़ें
समय की रेत पर छाप छोड़ती युवा लेखिका—प्रियंका सौरभ
(महिला दिवस विशेष) युवा महिला लेखिका जो हिंदी और अंग्रेज़ी के 10,000 से अधिक समाचार पत्रों के लिए दैनिक संपादकीय लिख रही हैं जो विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित होते हैं। प्रमाणित सबूत गूगल के रूप में प्रियंका सौरभ और आगे पढ़ें
समीक्षा
तेजेन्द्र शर्मा जी की कहानी ‘कब्र का मुनाफा’
समीक्षित रचना: कब्र का मुनाफा कहानीकार: तेजेन्द्र शर्मा जीवन की अंतिम श्वास तक जीविका चलाने की चिंता और जीविका से मुनाफ़े की लालसा इतनी प्रबल होती है कि, व्यक्ति जहाँ एक ओर अपने मरने का साज़ो–सामान तैयार करता है। आगे पढ़ें
शाश्वत मूल्यों से जुड़ी काव्य यात्रा
हिंदी काव्य-धारा युग-युगांतर से चली आ रही है। हमारे वेद-पुराण, अति प्राचीन काव्य हैं। कभी-कभी लगता है कि उस समय के रचनाकार अपने हृदय की धड़कन, प्रकृति का संगीत, नदियों का कल-कल स्वर और पक्षियों की सुमधुर आवाज़ों के साथ आगे पढ़ें
संस्मरण
एक पर्स का सफ़रनामा
आमतौर पर विवाह समारोहों में होने वाले रूढ़ और पारंपरिक रीति-रिवाज़ों तथा कर्मकांडों से बचता हूँ। कुछ स्थानीय और क़रीब के लोगों के निमंत्रण पर रिसेप्शन या प्रीति-भोज में कभी-कभार शामिल हो जाता हूँ लेकिन दूर यात्रा करके शामिल आगे पढ़ें
छुट-पुट अफ़साने . . . एपिसोड–49
अतीत की स्मृतियों की कुछ ऐसी तरंगे भी हैं जो याद आने पर मेरे वर्तमान में फ़ुर्ती भर देती हैं जिससे मेरा आत्मविश्वास जाग उठता है। कुछ ऐसी ही अविश्वसनीय घटनाएँ आज आपको सुनाती हूँ, जिनकी कभी सपने में आगे पढ़ें
कविताएँ
शायरी
समाचार
साहित्य जगत - विदेश
प्रो. रेखा शिक्षण जगत की एक शख़्सियत हैं–अनिल शर्मा जोशी
(‘वातायन-यूके’ की 168वीं संगोष्ठी का आयोजन) लन्दन, दिनांक 02-03-2024: ‘वातायन-यूके’ के तत्वावधान में दिनांक 02-03-2024 को इस वैश्विक मंच की…
आगे पढ़ेंबैरोनेस श्रीला फ़्लैदर को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित
लंदन, 19 फरवरी 2024: साहित्यिक और सांस्कृतिक मंच ‘वातायन-यूके’ द्वारा दिनांक: 17-02-2024 को आयोजित 166 वीं संगोष्ठी में बैरोनेस…
आगे पढ़ेंपंजाबी लोक साहित्य और संगीत
(वातायन-यूके प्रवासी संगोष्ठी-165; लोकगीत शृंखला-16) लोकगीतों की मौखिक परंपरा रही है—डॉ. वनिता लंदन, 21-01-2024: विश्व-प्रसिद्ध साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था ‘वातायन-यूके’ के तत्त्वावधान…
आगे पढ़ेंसाहित्य जगत - भारत
नाट्यकथा: कथा सिया राम की का भावपूर्ण प्रस्तुतीकरण
दिनांक 06-03-2024 को राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, नई दिल्ली में मुक्ताकाशीय मंच पर रामायणगाथा कार्यक्रम के अंतर्गत पद्मविभूषण डॉ.…
आगे पढ़ेंब्रिलिएंट में बाल रचनाकार हुए पुरस्कृत-2024
अलीगढ़। बाल रचनाकारों की राष्ट्रीय पत्रिका अभिनव बालमन में विविध प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बाल रचनाकारों को…
आगे पढ़ेंडॉ. रमा द्विवेदी कृत ’मैं द्रौपदी नहीं हूँ’ पुस्तक परिचर्चा..
युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (पंजीकृत न्यास) आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना राज्य शाखा की वर्चुअल चौदहवीं संगोष्ठी 28 जनवरी-2024 (रविवार)…
आगे पढ़ेंसाहित्य जगत - भारत
संस्कृत बाल कथा पर अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी
“भाषा विकास तथा एनईपी-2020 के लिए आवश्यक”–कुलपति प्रो. वरखेड़ी लखनऊ। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के सीएसयू लखनऊ परिसर में…
आगे पढ़ेंसमकालीन कुण्डलिया शतक का लोकार्पण
नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेले में त्रिलोक सिंह ठकुरेला द्वारा सम्पादित कुण्डलिया संग्रह ‘समकालीन कुण्डलिया शतक’…
आगे पढ़ेंत्रिलोक सिंह ठकुरेला को ‘वीरबाला काली बाई स्मृति सम्मान’
साहित्यकार त्रिलोक सिंह ठकुरेला को उनके द्वारा बाल साहित्य के क्षेत्र में किये गये उल्लेखनीय योगदान के लिए नई…
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